Ray of Hope Amidst the Dying Environment of the Capital – Khora Pond

राजधानी दिल्ली व उत्तरप्रदेश की सीमा पर स्थित खोड़ा माकनपुर नगर, गाजियाबाद जिले के अंतर्गत आता है जिसकी सीमाएं उत्तर व पश्चिम में दिल्ली के क्रमशः इंदिरापुरम व मयूरविहार से तथा पूर्व व दक्षिण में नोएडा से लगती है। कुल 12 वर्ग किमी के इस क्षेत्र में वर्ष 1971 की जनगणना के अनुसार मात्र 96 परिवार जिसकी जनसँख्या 656 थी, जो वर्ष 1981 में 844, 1991 में 14751 , 2001 में 99056 व 2011 में 189410 तक जा पहुंची। इन आधिकारिक आंकड़ों से परे, ऐसा माना जाता है की यहां की वास्तविक जनसँख्या 14 लाख से भी अधिक है। पिछले पांच दशकों में हुआ ये जनसँख्या विस्फोट, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से इसकी नजदीकी का परिणाम कहा जा सकता है। तीव्र जनसँख्या वृद्धि अपने साथ कई समस्याएँ भी लेकर आई है जिनमे आवास, कचरा व अपशिष्ट निस्तारण, शुद्ध पेयजल व रोजगार प्रमुख है।

क़स्बे के ही उत्तर से गुजरते दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के एक किनारे पर स्थित है लगभग 9 एकड़ में फैला खोड़ा तालाब, जो हिंडन नदी को यमुना नदी से जोड़ने वाली नहर से जुड़ा है। साथ ही दिल्ली की कुख्यात लैंडफिल साइट व विशाल मांस बाजार भी इसके पास ही स्थित हैं।

आज यह तालाब निर्माण कार्यो के बचे मलबे, घरेलू कचरे, सीवेज निष्कासन तथा निकट बाजारों से निकले ठोस कचरे से अटा पड़ा हुआ है। यहां तक की मृत जानवरो के अपशिष्ट व जैविक कचरे के अनियोजित दहन से उत्पन्न जहरीली व बदबूदार गैसे भी यहां आम बात है। साथ ही साथ तेजी से फैलती खरपतवार व झाड़ियां, लावारिस घूमते पशु व शिकार की तलाश में बैठे चील कौवे यहां की भयानक स्थिति को दर्शाते हैं। कचरे से रिसते लीचेट का भूजल में मिलकर जल प्रदूषण, हवा में घुलती दुर्गन्ध व जल जनित बीमारियों का केंद्र बन चुके इस तालाब का वैज्ञानिक जीर्णोद्धार यहां की विशाल जनसँख्या के स्वास्थ्य व स्थानीय पर्यावरण के दृष्टिकोण से अति आवश्यक है। क़स्बे की घनी बसी कॉलोनियों से आती नालियों के द्वारा घरेलू सीवेज तथा वर्षाजल अपवाह तालाब तक पहुंच कर बेतरीब ढंग से फ़ैल जाता है। यदि व्यवस्थित रूप से इनलेट व आउटलेट चैनल का निर्माण, रिचार्ज पिट्स व प्राकृतिक जल शोधन, हानिकारक तत्वों को सोखने वाले जलीय पौधों की व्यवस्था तथा सामुदायिक भागीदारी के साथ वृक्षारोपण किया जाये तो इस तालाब को एक नया जीवनदान मिल सकता है।

राजधानी के बिगड़ते वातावरण के बीच स्थित खोड़ा माकनपुर का यह तालाब न सिर्फ जैव विविधता का एक छोटा सा केंद्र बन सकता है बल्कि स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र में एक आशा की किरण के रूप में उभर सकता है।

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