नीलकंठ झील संरक्षण यात्रा : कीकर के जंगल से कच्छ के रन तक

दुग्ध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध मेहसाणा जिले की फतेपुरा झील के पुनुरुद्धार के बाद EFI समीपवर्ती राजगढ़-हेदुवा पंचायत के अंतर्गत आने वाली नीलकंठ झील को भी पुनर्जीवित करने के लिए प्रयासरत है।  फतेपुरा झील के पुनरुद्धार की कहानी के लिए इस लिंक पर जाये।

नीलकंठ झील मेहसाणा – बेचारजी मार्ग पर स्थित लगभग 17 एकड़ के क्षेत्र में फैली है। स्थानीय नागरिक बताते है की जिले के कई मुख्य सड़क मार्ग व बाईपास बनाने में इस स्थान से मिटटी खोदकर उपयोग में ली गयी, जिससे इस झील का निर्माण हुआ और यह गहरी होती गयी।  झील की अनुमानित गहराई 15 फ़ीट से शुरू होकर कुछ स्थानों पर 40 फ़ीट तक है।  यह मेहसाणा जिले से बीच से गुजरती खारी नदी के लिए एक अवसादी भंडारण की तरह कार्य करती है जहा नदी का सीवेज युक्त बदबूदार पानी यहाँ कुछ समय के लिए रुकता है तथा 10-15 दिन के धारण समय के पश्चात झील से बहार निकल कर पुनः खारी नदी में जा मिलता है।

वर्तमान में यह झील पूर्णतया विदेशी बबूल की खरपतवार की जद में है , झील के चारो और विदेशी बबूल का एक घना जंगल सरीखा नज़र आता है।

खारी नदी 50 किमी लम्बी एक मौसमी नदी है जो वर्तमान में कस्बो से निकलने वाले अपशिष्ट जल का वहन कर रही है, आगे चलकर यह रूपेन नदी में मिलती है जिसका मुख कच्छ के रन में विलीन होता है।  नीलकंठ झील का महत्व इसीलिए बढ़ जाता है की यह झील खारी नदी के ज़हरीले झाग युक्त पानी को 10-15 दिन का अवधारण समय देकर तथा प्राकृतिक रूप से हानिकारक तत्वों की सांद्रता को को कम करके खारी, रूपेन नदी तथा कच्छ रन से जुड़े एक वृहद पारिस्थितकी तंत्र को भारी नुकसान होने से बचने की क्षमता रखती है। 

पुनरुद्धार के प्रथम चरण में झील के चारो तरफ विदेशी बबूल की खरपतवार के घने जंगल को हटाया जा रहा है ताकि स्थानीय जैव विविधता पर पड़ रहे तनाव को काम करके पुनः संतुलन स्थापित किया जा सके।  तत्पश्चात झील के बँधो का निर्माण करके उन्हें एक सुरक्षित ढाल प्रदान की जाएगी ताकि झील को एक भौतिक संरचना मिल सके। साथ ही जल की गुणवत्ता को बढ़ाने तथा उसके हानिकारक तत्वों को अवशोषित करने के लिए संरचनात्मक सुधार किये जाएंगे।

ग्रामीण सहयोग, औद्योगिक भागीदारी के संयोजन से किये जा रहे इस झील पुनुरुद्धार के प्रयासों से आशा है कि स्थानीय पक्षियों व उभयचरों को एक आवास प्रदान करके पारिस्थितकी के समृद्धीकरण के साथ यह परियोजना वृहद स्तर पर भी जैव विविधता के संरक्षण में अपना योगदान देगी। 

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